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बस्तर के आदिवासी महाराज प्रवीर को मानते थे अपना भगवान

लोकेशन जगदलपुर छत्तीसगढ़
रिपोर्टर सुधीर तिवारी
बस्तर के आदिवासी महाराज प्रवीर को मानते थे अपना भगवान 25 मार्च 1966 को जगदलपुर बस्तर में हुए गोली कांड में हुई थी महाराज की मौत प्रवीर चंद्र को बस्तर के राजा के साथ-साथ आदिवासियों का भगवान का दर्जा प्राप्त है बचपन में अंग्रेज गार्जियन ने उन पर कई जुर्म किए पर प्रवीर चंद्र इस चक्रव्यूह से और तपकर निकले राजमहल के भीतर हुई गोली कांड में बस्तर का यह सबसे लोकप्रिय महाराज कहलाए कुछ आदिवासी के साथ मारे गए पर बस्तर आज भी अपने राजा को याद करता है महाराज प्रवीर चंद्र 18 वर्ष पूर्ण करने के बाद जुलाई 1947 में ब्रिटिश शासन ने उन्हें रियासत का पूर्ण अधिकार सौंप दिया सन 1948 को छत्तीसगढ़ की अन्य रियासतों के साथ बस्तर भी मध्य प्रदेश में विलीन हो गया वर्ष 1955 में प्रवीण चंद्रा ने बस्तर जिला आदिवासी किसान मजदूर सेवा संघ की स्थापना की जनवरी 1956 में संघ का महा अधिवेशन किया गया इसका उद्देश्य था कि जिला स्तर पर आदिवासी किसान मजदूर का आर्थिक सामाजिक तथा शैक्षणिक विकास करना इसी दौरान उन्हें टीवी ने घेर लिया उन्हें पागल घोषित कर स्विट्जरलैंड भेज दिया गया सेनेटोरियम में उन्हें मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ घोषित कर दिया और दो-तीन माह के अंदर ही वह अपनी मातृभूमि लौट आए थे।
कि इस बलिदान में आज बस्तर के लोग उन्हें याद करते हैं आज दिनांक 25 मार्च 2025 दिन मंगलवार महाराजा  बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है उनकी 59 में पुण्यतिथि समस्त राजगुरु परिवार समस्त कुंवर परिवार समस्त सुकमा जमींदार परिवार परम कोर्ट जमींदार परिवार जमींदार परिवार भोपालपटनम जमींदार परिवार समस्त बस मालगुजार परिवार समस्त जिया परिवार राजपुरोहित परिवार समस्त पुजारी परिवार समाज पोस्ट पर गान माझी चल की प्रेरणा व पटेल मेंबर वह बस्तर में निवास समस्त समाज के लोग वह समाज के लोग शामिल हुए मुख्य रूप से राजमाता कृष्ण कुमारी देवी और उनके पुत्र महाराज कमलचंद्र भज देव शामिल हुए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।

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